
रविवार को राम मोहन कौशिक की पुस्तक “जीवन रश्मियाँ” का विमोचन अखिल भारतीय साहित्य परिषद, कोटा इकाई के तत्वाधान में होटल सुरपिन, स्टेशन रोड, कोटा जंक्शन, में सम्पन्न हुआ । श्री राम मोहन कौशिक जी ने बताया कि यह पुस्तक उन्होने अपने स्वर्गीय माता – पिता को समर्पित की है । पुस्तक की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें उन्होंने अपने जीवन में घटित घटनाओं को कहानी रूप में परिवर्तित करके बाल नैतिक शिक्षा हेतु इक्कीस कहानियों का सृजन किया है । कहानियाँ स्वयं , माता, पिता , भाई , बहिन , पोते , पोती, मित्र व समाज से ली गई घटनाओं पर आधारित हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता – प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. गिरीराज अग्रवाल “गिरी” गिरवर, सोनोलॉजिस्ट ने की । मुख्य अतिथि – शिक्षाविद् एवं साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद गौतम जी रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री रघुनन्दन हटीला ‘ रघु ‘ ने किया । इस अवसर पर कोटा के जाने माने साहित्य कार रामेश्वर शर्मा, राजेन्द्र मोरपा, कालीचरण राजपूत, दीपक शर्मा, श्याम सुन्दर शर्मा, अर्जुन दास छाबड़ा जी, रघुराज कर्मयोगी उपस्थित थे । विमोचन के इस विशेष कार्यक्रम में बालकों को भी आमंत्रित किया गया था । कनिष्ठ आयु वर्ग 8 से 11 वर्ष तथा वरिष्ठ वर्ग 11 वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्चों द्वारा कहानी लेखन पर उन्हे पुरस्कृत भी किया गया । जयपुर बैंक, रेलवे वर्कशाप, कोटा, के डायरेक्टर श्री बैकुंठ नारायण शर्मा ने भी कनिष्ठ व वरिष्ठ वर्ग में प्रथम आए कहानी कारों को पुरस्कार दिये । ज्ञातव्य रहे कि राम मोहन कौशिक जी वर्ष 2020 के बाद पुस्तक लेखन क्षेत्र में आये हैं । पाँच वर्ष के समय काल में इनकी यह नवीं पुस्तक है । इनकी तकनीकी पुस्तकों की रेलवे के इंजिनियरिंग विभाग में बहुत माँग है । बाहरी ब्रदर्स, दिल्ली, द्वारा प्रकाशित पुस्तकें 2023 व 2024 से पूरे भारतीय रेल में लोकप्रिय हैं । सामाजिक तौर पर इनकी पुस्तकें ज्ञान गंगा, भारतीय सम्यता एवं संस्कृति , बाल सुलभ ज्ञान की भी काफी लोकप्रियता है । कार्यक्रम के दौरान वयोवृद्ध श्री श्याम सुन्दर शर्मा सेवा निवृत रेलवे का सम्मान शॉल, मुक्ताहार से किया गया । अध्यक्ष व विशिष्ट अतिथियों के अतिरिक्त पुस्तक सहयोग हेतु श्री भगवत सिंह जादौन ‘मयंक’, श्री रघुनन्दन हटीला, काली चरण राजपूत,अपर्णा पांडेय, रामेश्वर शर्मा, हेमराज हेम, प्रेम शास्त्री, राजेंद्र मोरपा आदि का भी सम्मान किया गया एवं कोटा के जाने माने साहित्यकारों को भी सम्मानित किया गया । कहानी लेखक बाल रचनाकारों को भी पुरस्कृत कर उन्हे प्रोत्साहित किया गया । इस प्रकार कौशिक जी की नौवीं पुस्तक “जीवन रशिमाँ” बाल नैतिक शिक्षा कहानियों के रूप में विमोचित की गई ।